मेरे हृदय में रोज उमड़ते हैं
सैकड़ों भाव
एक साथ .....
एक दूसरे का साथ देते
एक दूसरे को मात देते
एक पर एक हावी होता
एक में दूजा अपना वजूद खोता
लेकिन मुझे इनके अभिव्यक्ति के लिए
कोई शब्द नहीं मिलते
हाँ, मुझे
शब्द नहीं मिलते।
सड़क पर निकलता किसी का प्राण
खींचता है ध्यान
बंद आस्तीन पर चढ़ा मेरा सूट
याद दिलाता है मुझे मेरा वजूद
बढ़ा लेता हूँ मैं अपनी रफ्तार
नहीं देखना चाहता मैं सड़क के पार
लेकिन मेरे मन में उभरता अपराधी भाव
मेरा साथ नहीं छोडते
फिर भी मुझे इनकी अभिव्यक्ति के लिए
कोई शब्द नहीं मिलते
हाँ, मुझे
शब्द नहीं मिलते।
जब जब सुनाई देती मुझे कोई चीख
सोचता हूँ पता नहीं किसकी है ये जीत
कौन गया है हार ........
किसने खोया प्यार........
किसका लुटा संसार.......
आँसू तो दिखते हैं मुझे
मगर बयां करने के लिए
मेरे पास शब्द नहीं होते
हाँ, मुझे
शब्द नहीं मिलते।
मेरी अंगुली थाम
खड़ा होता कोई इंसान
जब अनगिनत सीढ़ियाँ कर पार
पूछता है, मुझसे मेरी पहचान
सच कहता हूँ रो उठता है मेरा हृदय
बस आँखों से मेरे रक्त नहीं बढ़ते
हाँ, मुझे
शब्द नहीं मिलते।
किताबों में बिखरे सारे शब्द
मिलते हैं मुझे हर वक्त
ज्यों के त्यों अपनी जगह
मैं पूछता हूँ उनसे, कि भाई
जब होती है मुझे तुम्हारी ज़रूरत
तुम मुझे क्यों नहीं मिलते ?
कहता है वो,
काम है हमारा, आपका ज्ञान बढ़ाना
मन के भावों को जगाना
नहीं काम हमारा कहीं जाना
हम अपनी जगह से कभी नहीं हिलते
इसीलिए आपको शब्द नहीं मिलते
पाना चाहते हो यदि हमें
तो झाँको अपने हृदय में
सुनो वो सारी आवाज़ें
जो तुम सुनना नहीं चाहते
झेलो वो सारी व्यथा
जो कलेजे में हुक बन उठती है
और आँखों से आँसू बन बहते हैं।
छूओ उन भावों को
जो मन में सदा घुमड़ते हैं।
क्योंकि शब्द यहीं से बनते हैं।
उस दिन से मैं लगातार
देखता हूँ एक नया संसार
मगर जीवन के आपाधापी में
कभी वक़्त नहीं मिलते
तो कभी शब्द नहीं मिलते।
मुझे शब्द नहीं मिलते।